Sunday, 15 June 2025

रिटायरमेंट

_तक़रीबन 26 साल नौकरी करने के बाद सुरेश बाबू इसी महीने रिटायर होने वाले थे। वे एक प्राइवेट कंपनी में आदेशपाल (चपरासी ) के पद पर कार्यरत थे।

   एक तरफ़ जहाँ सुरेश जी को इस बात का सुकून था- कि चलो अब तो एक खड़ूस, बत्तमीज औऱ क्रूर बॉस से छुटकारा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही थी- कि रिटायरमेंट के बाद अब उनका समय कैसे बीतेगा-औऱ उनपर जो जबरदस्त आर्थिक जिम्मेदारी है,उसका निर्वहन वे कैसे करेंगे.......??

       दरअसल सुरेश बाबू को एक मात्र लड़की थी जिसकी पढ़ाई औऱ फ़िर ब्याह की चिंता उन्हें खाए जा रही थी।

      रिटायमेंट के बाद इस महंगाई में घर के ख़र्च के साथ साथ बेटी की शादी उनके लिए एक बड़ी चुनौती से कम न थी।

         उपर से उनकी बीमार पत्नी के इलाज़ का ख़र्च अलग से मुँह बाए खड़ा था।

      _हालांकि लगभग 60 कर्मचारियों वाले उस दफ़्तर में अपने सुप्रीम बॉस सहित कुछ लोगों के बुरे बर्ताव के कारण वे मन ही मन बड़े दुखी रहते थे।

   फ़िर भी जब महीने की एक तारीख़ को उनके हाथों पर उनकी तनख्वाह आ जाती थी तब उनका सारा दुख दर्द फ़ुर्र हो जाता था।

            सुरेश बाबू ख़ुद भी शारीरिक रूप से दुरुस्त न थे। उनकी याददाश्त तो कुछ कमजोर हो ही चली थी, उनका अब हांथ भी कांपने लगा था। न चाहते हुए भी कुछ न कुछ गलती अक़्सर उनसे भी हो ही जाती थी।

      वे क़भी दफ़्तर की सफ़ाई करना भूल जाते तो क़भी चाय में चीनी डालना।

    _क़भी कभार तो गंदे ग्लास से ही किसी कर्मचारी को पानी पिला देते थे जिसके लिए उन्हें कुछ न कुछ भला बुरा सुनना पड़ता था।

      _फ़िर भी सब कुछ चलते जा रहा था।


आख़िरकार वो दिन भी आ ही गया- जिस दिन सुरेश बाबू का दफ़्तर में आख़री दिन था।

      सुरेश जी वक़्त से कुछ पहले ही दफ़्तर पहुँच कर अपने नियमित कार्य में जुट गए। सबकुछ रोज़ की ही तरह था,बस आज दफ़्तर में ख़ामोशी कुछ ज़्यादा थी।

शाम में जब आख़री बार दफ़्तर से घर जाने का वक़्त हुआ तो सुरेश बाबू ने टूटे मन से सोचा कि अंतिम बार खड़ूस बॉस के केबिन में जाकर उससे मिल लिया जाए- लेकिन उन्हें बताया गया- कि अन्य कर्मचारियों के साथ बॉस एक जरुरी मीटिंग कर रहे हैं, फ़िलहाल उन्हें कुछ देर इंतज़ार करना होगा।_

        दो घंटे इंतज़ार के बाद भी जब मीटिंग ख़त्म नहीं हुई- तो सुरेश बाबू मन ही मन चिढ़ गए- औऱ बॉस को कोसने लगे......साला क्या अहंकारी आदमी है, सिर्फ़ एक मिनट के लिए मुझें बुलाकर मिल लेता ...अकड़ू साला।


   *_अंत में मायूस होकर सुरेश बाबू ने बिना बॉस से मिले ही अपने घर लौटने का मन बना लिया,ठीक तभी किसी ने आवाज़ दी....साहब तुम्हें बुला रहे हैं ।_*

      सुरेश बाबू झटपट अंदर दाख़िल हुए- लेकिन बॉस के केबिन का नज़ारा कुछ बदला- बदला सा था। डडडडछसुरेश जी को देखते ही सभी कर्मचारियों ने ज़ोर से ताली बजाकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया ।

     फ़िर बॉस ने मेज़ पर रखे एक केक को काटने के लिए सुरेश जी को धीरे से इशारा किया।

         *_पार्टी समाप्ति के बाद अब बॉस ने बोलना शुरु किया.... सुरेश, हम सब ने आज मिलकर सामुहिक रूप से ये फैसला लिया है कि तुम्हें फ़िलहाल नौकरी से कार्यमुक्त न किया जाए औऱ तुम्हारी सेवाएं पहले की तरह ही बहाल रखी जाए- क्योंकि हमें एक ईमानदार,जिम्मेदार औऱ वफ़ादार व्यक्ति की सख़्त आवश्यकता है।_*

            *_कुछ मामूली लापरवाहियों को अगर नज़रंदाज़ कर दिया जाए तो तुम एक बेहद ही कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति हो।_*

              *_तुम्हें तुम्हारी सेवाओं के बदले प्रत्येक कर्मचारी की तरफ़ से महीने के अंत में पाँच सौ रुपये दिए जाएंगे।_*

     *_हालांकि ये हमारे ऑफिस के नियम के खिलाफ है,फ़िर भी तुम्हारी आर्थिक जरुरतों के देखते हुए तुम्हारे लिए ऐसा करना पड़ रहा है लेकिन ध्यान रहे तुम्हारी गलतियों के लिए तुम्हें मिलने वाली डांट में कोई रियासत नहीं मिलेगी।_*

       *_बॉस ने अपनी बातों को बीच में रोकते हुए रूपयों का एक बंडल सुरेश बाबू के हाथों में थमाया औऱ फ़िर बोलना शुरू किया....आज ही ये पाँच लाख रुपए हम सब ने मिलकर तुम्हारे लिए जमा किए हैं- ताकि तुम अपनी बेटी की शादी धूमधाम से कर सको।_*

          *_बॉस ने जैसे ही अपनी वाणी को विराम दीया- तालियां फ़िर से गड़गड़ा उठी।_*

     *_सुरेश बाबू रोते हुए बॉस के चरणों में झुक गए- लेकिन बॉस ने उन्हें पकड़कर अपने गले से लगा लिया।_*

  _*ऑफिस से निकलने के बाद डबडबाई आँखों को लेकर सुरेश बाबू अपने घर की ओर जाते हुए बस यही सोच रहे थे कि आज तक जिन लोगों को वे खड़ूस औऱ बेरहम समझ रहे थे,वे हक़ीक़त में कुछ औऱ ही निकल गए।*_

             _अक़्सर हमारे नकारात्मक विचारों के कारण किसी भी व्यक्ति के प्रति हमारे मन में जो धारणा बन जाती है- वो हमेशा सही नहीं होती। क़भी क़भी लोग इतने भी बुरे नहीं होते- जितने हम उन्हें मान बैठते हैं।_

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 सदैव  प्रसन्न रहिये।जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।।

Monday, 3 February 2025

मेरा 'राम' तो एक ही है

 मेरा 'राम' तो एक ही है 


एक बार की बात है कि कबीर दास जी हमेशा की तरह अपने काम में मग्न होकर राम नाम रट रहे थे। 

तभी उनके पास कुछ तार्किक व्‍यक्ति आते हैं। उनमें से एक व्‍यक्ति उनसे पूछता है.. “कबीर जी आपने यह गले में क्‍या पहन रखा है?”

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कबीर जी कहते है.. “यह कंठी है?”  (कंठी यानि गले में पहनी जाने वाली रूद्रा्क्ष की माला)

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तब दुसरा तार्किक व्‍यक्ति उनसे प्रश्‍न करता है- “भाई अपने माथे पर यह क्‍या लगा रखा है?”  

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“इसे तिलक कहते है मेरे भाई!” कबीर जी कहते हैं।

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उत्‍तर सुनकर एक अन्‍य तार्किक व्‍यक्ति फिर से उनसे प्रश्‍न करता है- “आपने, यह हाथ में क्‍या बांध रखा है? आप क्‍या कर रहे हो?

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यह सुनकर कबीर जी कुछ उन लोगों को कहते हैं-  “मैं राम राम रट रहा हूँ। गुरु जी की आज्ञा है, राम नाम के भीतर सकल  शास्त्र पुराण श्रुति का सार है। इसलिए मैं ‘नाम’ जप रहा हूँ। 

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यह सुनकर उनमें से एक व्‍यक्ति कहता है, “अच्छा तो तुम राम नाम जपते हो! तो राम का भजन करते हो!

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“हां! मैं श्री राम का भजन करता हूँ।”-  कबीर जी बोले।

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“तो फिर कौन से राम का भजन करते हो?”  उस व्‍यक्ति ने कबीर जी से पूछा।  

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“कौन से राम? क्‍या राम भी बहुत सारे हैं?”  कबीर जी ने कहा।  

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तो उनमें से एक व्‍यक्ति ने कहा, “लो इन्‍हें यह तो पता नहीं कि कौन से राम का भजन करते हो, और लग गए भजन करने। 

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जिसे यही नहीं पता कि राम कितने तरीके के होते हैं, तो भजन का क्या फल?  

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अब यह कहकर वे तार्किक व्‍यक्ति वहां से चलते समय कबीर जी को एक दोहा भी सुना गए।  


एक राम दशरथ का बेटा,

एक राम घट-घट में लेटा; 

एक राम का सकल पसारा,

एक राम सभी से न्‍यारा;

इन में कौन-सा राम तुम्‍हारा? ।।      


अब कबीर जी सोचने लगे कि मुझे तो यह पता ही नहीं कि राम भी बहुत हैं। मैं तो केवल यही जानता हूँ कि एक ही राम हैं। ये अच्‍छा संशय मेरे मन में डाल गए हैं। 

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पूछते हैं कौन से राम का भजन करते हो? यह सब जब वह सोच रहे थे, तो तभी उन्‍हें अपने गुरु जी की कही बात याद आ जाती है, गुरू जी ने कहा था, कोई संशय हो तो उसका निवारण कर लेना।  

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तब कबीर जी ने सोचा इस संशय का निवारण अपने गुरुजी के पास जाकर ही करता हूँ। 

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बस फिर क्‍या था कबीर जी पहुँचे अपने गुरुजी के पास। गुरू जी को प्रणाम कर एक ओर हाथ बांधकर खड़े हो गए। कबीर जी को देखकर, गरू जी बोले आओ कबीर, क्या बात है?

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तब कबीर जी बोले-  “गुरु जी! एक अजीब सा संशय चित में आ गया है।  

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“कौन सा संशय” गुरू जी ने पूछा?

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कबीर जी बोले, “गुरू जी कुछ तार्किक विद्वान मेरे पास आए थे। मैं बैठा आपकी आज्ञा से राम नाम का भजन कर रहा था। 

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तब वे मुझसे पूछने लगे क्‍या कर रहे हो कबीर? मैंने कहा, राम-राम रट रहा हूँ।

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फिर वह पूछने लगे कि कौन से राम का भजन कर रहे हो? तब हमने उनसे पूछा कि क्‍या राम भी बहुत सारे होते हैं क्‍या? 

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तो वे मेरे इस प्रश्‍न के उत्‍तर में मुझसे बोले “हाँ” और क्‍या तुम्‍हें यह भी नही पता क्‍या? जाते जाते मुझे एक दोहा भी सुनाकर चले गए हैं! वह दोहा है…..  

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एक राम दशरथ का बेटा,

एक राम घट-घट में लेटा; 

एक राम का सकल पसारा,

एक राम सभी से न्‍यारा:

इन में कौन-सा राम तुम्‍हारा? ।।      

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यह सुनकर गुरुजी बहुत खुश हुए और बड़े जोर से हँसने लगे। 

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हँसते हुए कबीर से कहने लगे- “बेटा! ऐसी बात करने वाले एक दिन नहीं तुम्‍हारे जीवन में, जीवन भर आएँगे। पर तुम्हें सजग रहना होगा। 

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देखो यह सृष्टि विविधमयी है। जिसकी आँख पर जैसा चश्मा चढ़ा होता है, उसको भगवान का वैसा ही रूप दिखाई देता है। 

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कोई परमात्मा को ‘ब्रह्म’ कहता है; कोई ‘परमात्मा’ कहता है; कोई ‘ईश्‍वर’ कहता है; कोई ‘भगवान’ कहता है। लेकिन अलग-अलग नाम लेने से परमात्मा अलग-अलग नहीं हो जाते।

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इसलिए जो राम दशरथ जी का बेटा है; वही राम घट घट में भी लेटा है; उसी राम का सकल पसारा है; और वही राम सबसे न्यारा भी है। लेकिन एक बात है इस दोहे मे


इस दोहे में ‘एक राम ’ चारो पंक्ति में ही एक ही हैं! तो बेटा! इस दोहे का अर्थ क्‍या है? 

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तो कबीर जी बोले- वही राम दशरथ का बेटा, वही राम घट-घट में लेटा, उसी राम का सकल पसारा, वही राम सभी से न्‍यारा।

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तब गुरू जी ने कबीर को समझाते हुए आगे कहा-

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“जब राम सभी जीवो के भीतर विराजमान रहता है, तो सबके घट- घट में व‍ह व्‍यापक हुआ ना और राम ने ही इस सृष्टि को रचाा हैं, तो यह सब पसारा उन्‍हीं का है। 

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लेकिन इस सृष्टि की रचना करने के बाद भी वह इस सृष्टि में फसते नहीं हैं। इसलिए वह सबसे न्यारे भी हैं।


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Tuesday, 1 October 2024

जीवन का मोल


एक धन सम्पन्न व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता था। पर कालचक्र के प्रभाव से धीरे धीरे वह कंगाल हो गया। उस की पत्नी ने कहा कि सम्पन्नता के दिनों में तो राजा के यहाँ आपका अच्छा आना जाना था। क्या विपन्नता में वे हमारी मदद नहीं करेंगे जैसे श्रीकृष्ण ने सुदामा की थी?"

पत्नी के कहने से वह भी सुदामा की तरह राजा के पास गया। 

द्वारपाल ने राजा को संदेश दिया कि एक निर्धन व्यक्ति आपसे मिलना चाहता है और स्वयं को आपका मित्र बताता है। 

राजा भी श्रीकृष्ण की तरह मित्र का नाम सुनते ही दौड़े चले आए और मित्र को इस हाल में देखकर द्रवित होकर बोले कि मित्र बताओ, मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ?"

मित्र ने सकुचाते हुए अपना हाल कह सुनाया।

चलो, मै तुम्हें अपने रत्नों के खजाने में ले चलता हूँ। वहां से जी भरकर अपनी जेब में रत्न भर कर ले जाना। पर तुम्हें केवल 3 घंटे का समय ही मिलेगा। यदि उससे अधिक समय लोगे तो तुम्हें खाली हाथ बाहर आना पड़ेगा।"

ठीक है, चलो।

वह व्यक्ति रत्नों का भंडार और उनसे निकलने वाले प्रकाश की चकाचौंध देखकर हैरान हो गया। पर समय सीमा को देखते हुए उसने भरपूर रत्न अपनी जेब में भर लिए। वह बाहर आने लगा तो उसने देखा कि दरवाजे के पास रत्नों से बने छोटे छोटे खिलौने रखे थे जो बटन दबाने पर तरह तरह के खेल दिखाते थे। उसने सोचा कि अभी तो समय बाकी है, क्यों न थोड़ी देर इनसे खेल लिया जाए?

पर यह क्या? 

वह तो खिलौनों के साथ खेलने में इतना मग्न हो गया कि समय का भान ही नहीं रहा।

उसी समय घंटी बजी जो समय सीमा समाप्त होने का संकेत था और वह निराश होकर *खाली हाथ* ही बाहर आ गया।

राजा ने कहा- "मित्र, निराश होने की आवश्यकता नहीं है। चलो, मैं तुम्हें अपने स्वर्ण के खजाने में ले चलता हूँ। वहां से जी भरकर सोना अपने थैले में भर कर ले जाना। पर समय सीमा का ध्यान रखना।ठीक है।"

उसने देखा कि वह कक्ष भी सुनहरे प्रकाश से जगमगा रहा था। उसने शीघ्रता से अपने थैले में सोना भरना प्रारम्भ कर दिया। तभी उसकी नजर एक घोड़े पर पड़ी जिसे सोने की काठी से सजाया गया था। 

अरे! यह तो वही घोड़ा है जिस पर बैठ कर मैं राजा साहब के साथ घूमने जाया करता था। वह उस घोड़े के निकट गया, उस पर हाथ फिराया और कुछ समय के लिए उस पर सवारी करने की इच्छा से उस पर बैठ गया।"

पर यह क्या? 

समय सीमा समाप्त हो गई और वह अभी तक सवारी का आनन्द ही ले रहा था। उसी समय घंटी बजी जो समय सीमा समाप्त होने का संकेत था और वह घोर निराश होकर खाली हाथ ही बाहर आ गया। 

राजा ने कहा- "मित्र, निराश होने की आवश्यकता नहीं है। चलो, मैं तुम्हें अपने रजत के खजाने में ले चलता हूँ। वहां से जी भरकर चाँदी अपने ढोल में भर कर ले जाना। पर समय सीमा का ध्यान अवश्य रखना।"

ठीक है।

उसने देखा कि वह कक्ष भी चाँदी की धवल आभा से शोभायमान था। उसने अपने ढोल में चाँदी भरनी आरम्भ कर दी। इस बार उसने तय किया कि वह समय सीमा से पहले कक्ष से बाहर आ जाएगा। पर समय तो अभी बहुत बाकी था।

दरवाजे के पास चाँदी से बना एक छल्ला टंगा हुआ था। साथ ही एक नोटिस लिखा हुआ था कि इसे छूने पर उलझने का डर है। यदि उलझ भी जाओ तो दोनों हाथों से सुलझाने की चेष्टा बिल्कुल न करना।

उसने सोचा कि ऐसी उलझने वाली बात तो कोई दिखाई नहीं देती। बहुत कीमती होगा तभी बचाव के लिए लिख दिया होगा। देखते हैं कि क्या माजरा है?

बस! फिर क्या था। हाथ लगाते ही वह तो ऐसा उलझा कि पहले तो एक हाथ से सुलझाने की कोशिश करता रहा। जब सफलता न मिली तो दोनों हाथों से सुलझाने लगा। पर सुलझा न सका और उसी समय घंटी बजी जो समय सीमा समाप्त होने का संकेत था और वह निराश होकर खाली हाथ ही बाहर आ गया। 

राजा ने कहा- मित्र, कोई बात नहीं।निराश होने की आवश्यकता नहीं है। अभी तांबे का खजाना बाकी है। चलो, मैं तुम्हें अपने तांबे के खजाने में ले चलता हूँ। वहां से जी भरकर तांबा अपने बोरे में भर कर ले जाना। पर समय सीमा का ध्यान रखना।

ठीक हैl

मैं तो जेब में रत्न भरने आया था और बोरे में तांबा भरने की नौबत आ गई। थोड़े तांबे से तो काम नहीं चलेगा। उसने कई बोरे तांबे के भर लिए। भरते भरते उसकी कमर दुखने लगी लेकिन फिर भी वह काम में लगा रहा। विवश होकर उसने आसपास सहायता के लिए देखा। एक पलंग बिछा हुआ दिखाई दिया। उस पर सुस्ताने के लिए थोड़ी देर लेटा तो नींद आ गई और अंत में वहाँ से भी खाली हाथ बाहर निकाल दिया गया।

क्या इसी प्रकार हम भी अपने जीवन में अपने साथ कुछ नहीं ले जा पाएंगे?

बचपन खिलौनों के साथ खेलने में,जवानी विवाह के आकर्षण में और गृहस्थी की उलझन में बिता दी।

बुढ़ापे में जब कमर दुखने लगी तो पलंग के सिवा कुछ दिखा नहीं। समय सीमा समाप्त होने की घंटी बजने वाली है।

संत कहते हैं- "सावधान! सावधान!! यूँ ही आता रहा, यूँ ही जाता रहा, लख चौरासी के चक्कर लगाता रहा। क्यों न पहचान पाया तू श्वासों का मोल...जीवन का मोल अपना हीरा जन्म यूँ गँवाता रहा। बन्दे अब तो जाग।

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Tuesday, 21 November 2023

अश्वगंधा चूर्ण

 अश्वगंधा एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो पुरुष-महिलाएं, बच्चे और बूढ़े सभी के लिए बहुत लाभकारी होती है। इस जड़ी-बूटी में जरूरी पोषक तत्वों के साथ ही कई औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं। यही कारण है कि आयुर्वेद में अश्वगंधा को कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए सप्लीमेंट के तौर पर लेने की सलाह दी जाती है। लोग अश्वगंधा की जड़ों को दूध या पानी में उबालकर इसका सेवन करते हैं। साथ ही आजकल बाजार में अश्वगंधा टेबलेट के रूप में भी मिलने लगा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, पाउडर के रूप में अश्वगंधा का सेवन इसके स्वास्थ्य लाभों का प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है। क्योंकि पाउडर रक्त में आसानी से घुल जाता है और शरीर में बेहतर तरीके से अवशोषित होता है।बहुत से लोग अक्सर पूछते हैं, कि अश्वगंधा पाउडर खाने के फायदे (ashwagandha powder khane ke fayde) क्या हैं और इसका सेवन कैसे करना चाहिए? 


#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए अश्वगंधा चूर्ण के फायदे

अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करने से टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा को बढ़ाने में मदद कर सकता है। वर्ल्ड जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस के शोध में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि अश्वगंधा में हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में कुछ मदद कर सकता है ।एक अन्य शोध में कहा गया है कि अश्वगंधा टोटल कोलेस्ट्रॉल के साथ ही एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को भी कम करने में मदद कर सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि अश्वगंधा 30 दिन में अपना लिपिड लोवरिंग प्रभाव दिखा सकता है ।


#कैंसर से बचाव में अश्वगंधा पाउडर के फायदे

एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में कहा गया है कि अश्वगंधा में एंटी-ट्यूमर एजेंट होते हैं, जो ट्यूमर को पनपने से रोक सकते हैं। साथ ही अश्वगंधा बतौर कैंसर के इलाज के रूप में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी के नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने में मदद कर सकता है ।ध्यान रखें कि अश्वगंधा को सीधे तौर पर कैंसर को ठीक करने के लिए नहीं, बल्कि कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है । अगर किसी को कैंसर है, तो उसे डॉक्टर से इलाज जरूर करवाना चाहिए। साथ ही मरीज डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन कर सकता है।


#बढ़ाए प्रजनन क्षमता: यह पुरुष और महिलाओं दोनों में ही प्रजनन क्षमता में सुधार करने और इनफर्टिलिटी से बचाव में मददगार है।


#शरीर को बनाए मजबूत: यह आपकी हड्डियों, मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। साथ ही शरीर में ऊर्जा को बढ़ावा देता है और स्टेमिना बढ़ाता है। यह बच्चों की हाइट बढ़ाने में भी मदद करता है। यह इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में भी बहुत लाभकारी है।


#नींद आती है अच्छी: मानसिक स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा पाउडर बहुत लाभकारी है। यह चिंता, तनाव, अवसाद, अनिद्रा और पूरा दिन थकान जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है और मस्तिष्क को शांत करता है। जिसे नींद अच्छी आती है और आप खुश महसूस करते हैं।


#सूजन से लड़ने में करे मदद: सूजन से शरीर में कई गंभीर रोग पैदा होते हैं, लेकिन अश्वगंधा सूजन को कम करने में मदद करता है। यह सूजन के कारण होने वाले मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की समस्या दूर करने में भी लाभकारी है।


#पेट को रखे स्वस्थ: पेट संबंधी समस्याएं दूर करने में भी अश्वगंधा बहुत लाभकारी है। यह मजबूत पाचन और मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करता है, जिससे पेट की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता ।


#आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा के जरिए डायबिटीज से भी बचा जा सकता है। इसमें मौजूद हाइपोग्लाइमिक प्रभाव, ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में सहायक हो सकता है। अश्वगंधा की जड़ और पत्तों को लेकर साल 2009 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मोल्यूकूलर साइंस ने डायबिटीज ग्रस्त चूहों पर एक अध्ययन किया। कुछ समय बाद चूहों पर इसका सकारात्मक परिवर्तन नजर आया। इसी वजह से कहा जा सकता है कि अश्वगंधा डायबिटीज से बचाव में उपयोगी हो सकता है ।


#थायराइड के लिए

गले में मौजूद तितली के आकार की थायराइड ग्रंथि जरूरी हार्मोंस का निर्माण करती है। जब ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है। इसके कारण कई अन्य तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। इसी अवस्था को थायराइड कहते हैं ।थायराइड से ग्रस्त चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से अश्वगंधा की जड़ को दवा के रूप में देने से थायराइड की कार्यप्रणाली में सुधार हो सकता है। साथ ही हाइपोथायराइड (ऐसी स्थिति, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बनाती है) रोगियों पर हुए अध्ययन में भी अश्वगंधा को थायराइड के लिए लाभकारी माना गया है । इस आधार पर कहा जा सकता है कि थायराइड के दौरान डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है।


#याददाश्त के लिए अश्वगंधा खाने के फायदे

स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और बदलती दिनचर्या तेजी से मस्तिष्क की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में जानवरों पर किए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया कि अश्वगंधा मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और याददाश्त पर सकारात्मक असर डाल सकता है । जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अश्वगंधा लेने से नींद भी अच्छी आ सकती है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है और वह बेहतर तरीके से काम कर सकता है ।


#हृदय रोग से बचाव के लिए अश्वगंधा के लाभ

अश्वगंधा में कार्डियोप्रोटेक्टिव प्रभाव होता है, जो हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। इस इफेक्ट का कारण अश्वगंधा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-एपोप्टोटिक गतिविधि को माना जाता है। इसके  अलावा, अश्वगंधा में मौजूद हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है। इस रिसर्च में कहा गया है कि इन गतिविधियों के अलावा एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-प्लेटलेट, एंटीहाइपरटेंसिव, हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव भी हृदय स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद कर सकते हैं ।


# वजन कम करने के लिए अश्वगंधा खाने के फायदे

एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध में अश्वगंधा की जड़ के अर्क का सेवन करने से भूख और वजन में कमी पाई गई। शोध में बताया गया है कि अश्वगंधा की जड़ का अर्क तनाव के मनोवैज्ञानिक लक्षणों में सुधार कर सकता है। यह तनाव और चिंता को कम कर भोजन की तीव्र इच्छा में कमी लाकर वजन को कम करने में सहायक हो सकता है। हालांकि, शोध में यह भी कहा गया है कि तनाव की वजह से बढ़ने वाले वजन को कम करने की अश्वगंधा की क्षमता को लेकर आगे और भी अध्ययन की जरूरत है । यहां हम स्पष्ट कर दें कि वजन कम करने के लिए अश्वगंधा के साथ-साथ संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी जरूरी है।


# चिंता और अवसाद के लिए अश्वगंधा चूर्ण खाने के फायदे

अश्वगंधा पाउडर बेनिफिट्स में चिंता और अवसाद से बचाए रखना भी शामिल है। अश्वगंधा के बायोएक्टिव कंपाउंड्स में एंक्सियोलिटिक (Anxiolytic – एंग्जाइटी कम करने की दवा) और एंटी-डिप्रेसेंट जैसी क्रियाएं मिलती हैं। एक रिसर्च में कहा गया है कि 5 दिनों तक इसका सेवन करने से यह चिंता कम करने वाली दवा के जैसा प्रभाव दिखा सकता है। अश्वगंधा दिमाग के ट्राइबुलिन (मोनोमाइन ऑक्सिडेज इनहिबिटर) के स्तर को नियंत्रित कर सकता है, जो स्ट्रेस की वजह से बढ़ जाता है। इसी वजह से माना जाता है कि अश्वगंधा चिंता और अवसाद को कम करने में लाभदायक हो सकता है ।


# मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा के फायदे

जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अश्वगंधा मस्तिष्क के विकार चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, हमने लेख में यह भी जिक्र किया है कि यह किस तरह से याददाश्त को बेहतर रखने में सहायक हो सकता है। इतना ही नहीं, मस्तिष्क के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा लाभकारी है।


एक रिसर्च में बताया गया है कि अश्वगंधा में स्मृति सुधार प्रभाव होने के साथ ही कॉग्निशन को बढ़ाने की क्षमता भी होती है। कॉग्निशन कुछ महत्वपूर्ण मानसिक प्रक्रियाओं का सामूहिक नाम है। सरल भाषा में कहा जाए, तो अश्वगंधा विचारों, अनुभवों और इंद्रियों (Senses) के माध्यम से समझने की क्षमता से संबंधित  मानसिक क्रिया व प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, अश्वगंधा में मौजूद विथनोलाइड्स कंपाउंड तंत्रिका विकास (Neurite outgrowth) में मदद कर सकता है।

Wednesday, 28 June 2023

अलसी के बीज के फायदे

 अलसी के बीज (Flaxseed) का भारत में हजारों वर्षों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता रहा है। अलसी बीज, तेल, पाउडर, गोलियां, कैप्सूल और आटे के रूप में उपलब्ध है। लोग इसे कब्ज, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, कैंसर और कई अन्य बीमारियों को रोकने के लिए खाने में इस्तेमाल करते हैं।


अगर बात करें अलसी के पोषक तत्वों की तो यह लिग्नन्स, एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर, प्रोटीन और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड जैसे अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) या ओमेगा-3 जैसे तत्वों का भंडार हैं। इन पोषक तत्वों का सेवन विभिन्न रोगों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।


आयुर्वेद डॉक्टर दीक्षा भावसार आपको बता रही हैं कि अलसी के बीजों को डाइट में शामिल करने से आपकी सेहत को क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।


अलसी के बीज के आयुर्वेदिक गुण


यह स्वाद में मीठा और कड़वा, घिनौना (स्निग्धा) और पचने में भारी (गुरु) और शक्ति में गर्म होता है, इसलिए नसों का दर्द, पक्षाघात, गठिया जैसे वात विकारों के लिए उपयोगी है। यह वात को संतुलित करता है लेकिन पित्त और कफ को बढ़ाता है इसलिए अत्यधिक रक्तस्राव विकारों से पीड़ित लोगों और गर्भधारण की योजना बनाने वाले लोगों को सावधानी के साथ इसका उपयोग करना चाहिए।



ब्लड शुगर कम करने में सहायक


अलसी के बीज डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर लेवल कम करने में सहायक हैं। इसके घुलनशील फाइबर आपकी भूख को दूर रखने में मदद करता है, इसलिए वजन घटाने और उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है।सेहत का खजाना है अलसी के बीजl



कब्ज का बढ़िया इलाज हैं अलसी के बीज


अल्से के बीज में भारी मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं और यही वजह है कि नियमित रूप से इसका सेवन करने से कब्ज को खत्म करने और पाचन को दुरुस्त बनाने में मदद मिल सकती है।



कम करता है खराब कोलेस्ट्रॉल


अध्ययनों से पता चला है, अलसी के बीज एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करते हैं, एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) में सुधार करते हैं, जिसके चलते आपको खून में कोलेस्ट्रॉल लेवल को मैनेज करने और दिल की सेहत में सुधार करने में मदद मिलती है।



ब्लड प्रेशर रखता है कंट्रोल


अलसी के बीज रक्तचाप को भी कम करते हैं। यह एक इम्यूनिटी बूस्टर फूड है और इसमें एंटी-एजिंग गुण पाए जाते हैं। साथ ही एह त्वचा और बालों के लिए भी अच्छा है।



प्रोटीन का भंडार है अलसी के बीज


अगर आप मांस-मछली नहीं खाते हैं, तो अलसी के बीज आपके लिए प्रोटीन का सबसे बढ़िया स्रोत हैं। इसे प्लांट बेस्ड प्रोटीन माना जाता है, जो शाकाहारी लोगों के लिए बढ़िया ऑप्शन है।


कैंसर से बचाने में सहायक


अलसी के बीज में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एस्ट्रोजन गुण होते हैं। यह ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर के साथ-साथ अन्य प्रकार के कैंसर को रोकने में मदद करता है।

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Monday, 10 August 2020

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।

 No doubt, you love your children. You send them to the best schools, give them the most nutritious food, and provide them with the latest toys,clothes, books, and video games that they can show off to their friends. However, in some time, the toys will break; the comic books will be torn; the clothes will be too small. What will remain is the cultural legacy that you pass on to your children.

Why Mantras?

Increasing westernisation and the advent of the Internet has produced 'cultural orphans' or people who are unable to relate to their own culture, and face an identity crisis. Your child can probably rattle off the names of his favourite comic characters. But can he chant a single prayer from his culture? Your child may not enjoy chanting prayers or singing devotional songs now, but as he grows up, he will always cherish those moments he spent with you—the lighting of the diyas, the burning of incense, the flowers, meeting different members of the family, etc.
In another article, you learned about mantras, and how they can be used. Here are some famous mantras that you can teach your children so that they grow up with a greater appreciation of their culture.

Ganesh Mantra

This mantra, dedicated to Ganesh the beloved elephant-headed god of Hinduism, is chanted before any activity, ritual or puja is performed.
Mantra:
Vakratund Mahakaya Surya Koti Samaprabha
Nirvhignam Kurumedeya Sarva Karyashu Sarvada
Meaning: O Lord with the large body, curved trunk, and the brilliance of crore (10 million) suns, please free my work from all obstacles, forever.

Om

 Om is the greatest of all syllables in Hinduism and forms part of many mantras. It is related to the Tibetan 'Hum' while some believe that it also may be related to the Hebrew 'Amen'.

Meaning: Aum represents God as sound. As Krishna says in the Bhagvad Gita, "Of all the alphabets, I'm the Aum." The Aum is said to contain the knowledge of the entire Vedas. It is also the sound of the celestial spheres, the 'hum' of the universe, and the primordial sound heard at the beginning of the universe.

Gayatri Mantra

Second only to Aum, the Gayatri mantra is regarded as one of the most powerful mantrasof Hinduism. By repeated chanting with correct pronunciation, it is said that one is able to attain enlightenment.
Mantra:
Aum Bhur Bhuva Svaha
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasya Dhimahi
Dhiyo Yo Nah Prachodayat,
It should be remembered that this simple mantra has several meanings, all of which are valid. Two of the meanings are given below.
Meaning 1: O God, you are the giver of life, remover of pain and sorrow, the bestower of happiness, may your light destroy our sins, and may you illumine our intellect to lead us along the righteous path.
Meaning 2: Aum, we meditate on the splendour of the supreme reality, the source of the three worlds: the gross or physical, the subtle or the mental, and the celestial or the spiritual.

Hare Krishna Maha Mantra

This simplest of mantras is quite popular all over the world. Devotional in nature, chanting this mantra is said to bring one closer to God, and wash away all sins.
Mantra:
Hare Krishna Hare Krishna
Krishna Krishna Hare Hare
Hare Rama Hare Rama
Rama Rama Hare Hare
Meaning: The mantra simply refers to Rama and Krishna, who are regarded as the incarnations of Vishnu. The word 'Hare' probably refers to another name for Krishna, but also means the 'energy of God'.

Shanti Mantras

Each of these mantras is followed by the phrase "Om shanti, shanti, shanti", and hence these mantras are known collectively as the Shantimantras. The word 'shanti' means peace in Sanskrit.
Mantra 1:
Asatoma sad gamaya
Tamaso ma jyotir gamaya
Mrityor ma amritam gamaya
Meaning: Lead me from untruth to truth; lead me from darkness to the light; lead me from mortality to immortality
Mantra 2:
Om poornamadah poornamidam
Poornaat poornamudachyate
Poornasya poornamaadaya
Poornamevaavashishyate
Meaning: That is Absolute (God). This is Absolute. Absolute arises out of Absolute. The Absolute is taken from the Absolute, yet the Absolute remains.
Mantra 3:
Om sahanaa vavatu sahanau bhunaktu
Saha veeryam karavaavahai
Tejasvi naavadheetamastu maa vidvishaavahai
Meaning: May He protect us. May He nourish us. May we work together. May our study be enlightening! May we never hate each other!